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इक्कीसवीं शताब्दी / शलभ श्रीराम सिंह
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शून्य में स्थिर है एक अग्नि-शिखर !
शिखर पर ज्वालामुखी पक्षियों का आवास है ।
जहाँ अनगिनत क्षुधित विस्फोट
प्रकाश की मृत्यु कामना कर रहे हैं !
संसार अब अंधकार-युक्त-विस्तृत नहीं
प्रकाशमान और सीमित है !
(१९६६)