भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दर्द को हँसकर उडाना चाहिए / गुलाब खंडेलवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


दर्द को हँसकर उडाना चाहिए
आँसुओं में मुस्कुराना चाहिए

गीत, गज़लें या रुबाई जो कहो
उनसे मिलने का बहाना चाहिए

बाग़ भर में उड़ रही ख़ुशबू तो क्या!
फूल को हाथों में आना चाहिए

चलते-चलते मिल ही जायेंगे कभी
ज़िन्दगी का ताना-बाना चाहिए

ठाठ पत्तों का हुआ झीना, गुलाब!
अब कहीं सर को छिपाना चाहिए