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मेरी चुप्पी भी उनको भा ही गयी / गुलाब खंडेलवाल

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मेरी चुप्पी भी उनको भा ही गयी
यह उदासी भी रंग ला ही गयी

है अँधेरा ही अँधेरा सब ओर
ज़िन्दगी फिर भी मुस्कुरा ही गयी

यों तो हर चीज़ से खिँचे हैं हम
क्या करेंगे जो कोई भा ही गयी!

कोई पहुँची नहीं किनारे तक
प्यार की हर लहर वृथा ही गयी

अब तो छाया भी साथ छोड़ रही
धूप जीवन की सर पे आ ही गयी

ख़ाक़ होकर भी खिल रहे हैं गुलाब
मौत इसमें भी मात खा ही गयी