भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चलो लौट चलें / अदोनिस

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:01, 8 जुलाई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=अदोनिस |संग्रह= }} Category:अरबी भाषा <Poem> चलो लौट चल…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: अदोनिस  » चलो लौट चलें

चलो लौट चलें
उन गलियों में जहाँ हम भटका करते थे
जहाँ हमने दुनिया बसते देखा
अपनी साँसों की झीलों में
और वक़्त आया-जाया करता था टूटी हुई खिड़कियों से

हम घूमते थे अपनी बर्बादी के खंडहरों में, अपनी नादानियों के आईने में
बेजान कागज़ के शब्दकोषों में
और कोई निशान नहीं छोड़ते थे हमारे क़दम

चलो फिर से चलें
अपने बेहतर दिनों के बगीचे में