भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सौगात / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:16, 8 जुलाई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=क-क्को कोड रो / कन्ह…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


सै बगत बगत री
बातां है,
दिन ओछा लांबी
रातां है,

जे पूरो नेह
नहीं भरसी,
दिवलै री बात
जळ मरसी,

ऐ माटी री
अपघातां है
सै बगत बगत री
बातां है।

विरहण आंसूड़ा
टळकासी,
अधबळ्या पतिंगा
रूळ ज्यासी,

ऐ साजन री
सौगातां है,
सै बगत बगत री
बातां है।