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रहती दुनिया तक / शहंशाह आलम
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लड़की नदी जितनी हंसती है
लड़की हवा जितनी दौड़ती है
लड़की पतंग जितनी उड़ती है
उसका हंसना
उसका दौड़ना
उसका उड़ना
रहती दुनिया तक
देखना चाहता हूं मैं।