भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हर किसी का दुःख / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:33, 22 जुलाई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=बारिश में खंडहर / नंदकि…)
हर कोई अपनी एक दुनिया बनाता है
हर किसी में एक ईश्वर छुपा है।
हर दुनिया लेकिन अपने में निराली है
अपने ही ढँग पर चलती !
ईश्वर ! हर किसी का यही दुःख है।
(1984)