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चिर्मी / राजस्थानी
Kavita Kosh से
रचनाकार: अज्ञात
चिरमी रा,
चिरमी रा,
चिरमी रा डाणा चार
वारि जाऊं चिरमी ने.......
चढ़ती ने दीखे मेड्तो
उतरती ने दीखे अजमेर
वारि जाऊं चिरमी ने.....
चढ़ती रो चमक्यो चुडलो सा
उतरती ने चमक्यो नोसर हार
वारि जाऊं चिरमी ने ..........
चिरमी बाबोसा री लाडली सा
चिरमी बाबोसा री लाडली सा
या तो दौड़ी दौड़ी पीहर जाए
वारि जाऊं चिरमी ने ............
म्हारी पीहरियारी रे चुनडी सा
म्हे तो ओडूं वार त्यौहार
वारि जाऊं चिरमी ने........
ऊपर रे डाले म्हारा जेठजी सा
काईँ नीचले डाला भरतार ....
वारि जाऊं चिरमी ने...
के वारि जाऊं चिरमी ने
के वारि जाऊं चिरमी ने
के वारि जाऊं चिरमी ने