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दीठ वाळो / हरीश बी० शर्मा

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जिको आभै पार देखै
आविणयै नैं
समै रथी रै रथां री धूळ रा बादळ
जिको साफ देख सकै
अर बता सकै सैनाणी
कै ऐ बादळ
गरजणिया है का बरसणिया
पण आवणियै री उडीक राखै,
कीं कर नीं पावै,
ना कीं करणौ चावै,
कैवै है
तुर्रा-किलंगी तो
आवणियै माथै लागसी।