भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जथारथ (4) / हरीश बी० शर्मा

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:57, 8 अगस्त 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरीश बी० शर्मा |संग्रह=थम पंछीड़ा.. / हरीश बी० शर…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


भाई लड़यो भाई सूं
बरतण बाज्या,
ठीकरा फूटया
लाई बह्यो

भींत खड़ी ही
ईंट्यां सूं भाईचारै री
अर
नींव भरीजसी
फोड़‘र
बाप‘री छाती।