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पत्थर और नदी -2 / सुरेश यादव

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पहाड़ों के पत्थर
जब ऊँचाइयों से टूटते हैं
तब - पत्थर बहुत 'टूटते ' हैं
डूब कर भी नदी में
बहना चाहते नहीं
धार से जूझते हैं

विरोध करते हैं - पत्थर
सागर में समर्पित होने का
नदी के साथ

रेशा-रेशा घिस कर
तलहटी में बिछ कर
जकड़ कर धरती को
समर्पित होने से पहले
रेत होना बेहतर समझते हैं।