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आपने ज़िन्दगी न दी होती / गुलाब खंडेलवाल
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आपने ज़िन्दगी न दी होती
क्यों ये मरने की बेकली होती!
कोई दिल के क़रीब आता क्यों
दोस्ती दोस्ती रही होती!
हम भी आँखें बिछाए बैठे थे
एक नज़र इस तरफ भी की होती!
आप अपना जवाब थे ख़ुद ही
हम न होते तो क्या कमी होती!
याद करते गुलाब को जो आप
झुकके काँटों ने राह दी होती