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मेरी झोली में / रमेश तैलंग

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मेरी झोली में सपने ही सपने भरे
ले-ले आ कर वही
जिसका भी जी करे ।

एक सपना है फूलों की बस्ती का,
एक सपना है
बस मौज़-मस्ती का,
मुफ़्त की चीज़ है
फिर कोई क्यों डरे ?

एक सपना है
रिमझिम फुहारों का
एक सपना है
झिलमिल सितारों का
एक सपना जो
भूखे का पेट भरे ।
ले-ले कर वही
जिसका भी जी करे ।