भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चोथी आळी बांचणियां नै / तेजसिंह जोधा

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:59, 7 सितम्बर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तेजसिंह जोधा |संग्रह= }} {{KKCatMoolRajasthani‎}} {{KKCatKavita‎}}<poem>कीं त…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कीं तो खायग्यो राज
कीं लिहाज
अर रह्यो-सह्यो खायगी चूंध’र खाज
-चौथी ओळी बांचणियै नै
जचै ज्यूं मांडो आज ।