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चक्की चले ! / रमेश तैलंग
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चक-चक चकर-चकर
चक्की चले ।
हो रामा ! हो रामा ! हो रामा !
भोर से उठ माँ रामधुन गाए ।
इस हाथ, उस हाथ पाट घुमाए ।
पाट पर घूमें तो
धरती ’हले’
हो रामा ! हो रामा ! हो रामा !
चक-चक चकर-चकर
चक्की चले ।
पंछी को दाना, ढोरों को सानी ।
चिन्ता जगत की माँ में समानी ।
माँ ! तेरे बल से
’गिरस्थी’ चले ।
हो रामा ! हो रामा ! हो रामा !
चक-चक चकर-चकर
चक्की चले ।