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परवश / हरीश बी० शर्मा

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मेरे सत्य के पास
रचाव की क्षमता नहीं
मेरी मौलिकता के बैनर तले
गीत कोई बनता नहीं
घुमड़ती अनुभूतियों का आग्रह
भौंथरे हुए अक्षर
अभिव्यक्ति विवश
बरसती नहीं
बीज पनपतें नहीं।