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क्योंकि आदमी हैं हम (2) / हरीश बी० शर्मा

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चाहता हूं प्रभु
फिर तुम्हें एक लंबा
वनवास मिले
अपने परिवार से होकर अलग
तुम वन-वन भटको
रात-रात भर सीते-सीते करते जागो
फिर जब सीता मिले
उसको भी त्यागो।