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तुम्हारी देह ही तो है / नंदकिशोर आचार्य
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रात भर बरसती है बर्फ
प्यार की तरह
छा लेती है घाटी को
मुझ पर भी छा जाती है
पहली बर्फ-सा यौवन !
झरते जल-सा निर्मल सौन्दर्य !
बाँहें फैलाये देवदार-सी उमंग !
गर्म सोते-सा वह स्पर्श !
तुम्हारी देह ही तो है
बर्फ से ढँकी यह घाटी
मुझे तुम तक पहुँचाती है।
(1977)