Last modified on 15 सितम्बर 2011, at 13:45

गरीब की लडकी / भारती पंडित

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:45, 15 सितम्बर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भारती पंडित |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> नहीं सोती है पू…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


नहीं सोती है पूरी नींद
करती माँ की हिदायत का पालन
कि नींद में न आ जाये कोई सपना सलोना
जिसे पाने को मचल पड़े मन की नदी
अपने प्रवाह को अनियंत्रित करके ..

गरीब की लड़की
जानती है सीमाएं अपनी कि
अव्वल तो कोख में ही मार दी जाएगी ,
जी गयी तो अनचाही सी दुलार दी जाएगी ,
पढ़ना चाहेगी तो ब्याह दी जायेगी,
बोझ सी दूजे आँगन उतार दी जाएगी ....

गरीब की लड़की
फिर भी झपका ही लेती है उनींदी पलकें ,
देखने को सुनहले जीवन का सुकुमार सपना ,
क्योंकि बचपन में दादी की कहानी में सुना था कि
सपने भी कभी- कभी
सच हो जाया करते हैं....