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सुसाइड / भारती पंडित
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कल रात फिर एक सुसाइड नोट
न्यूज पेपर की हेडिंग बना गया
एक प्यारा होनहार बच्चा
अनचाही मौत मर गया |
हर कोई लगा रहा था अपने कयास
उससे ऐसे कदम की नहीं थी आस
वह था मासूम ,समझदार बड़ा
फिर कैसे मौत के द्वार हुआ जा खडा |
रुदन , विलाप , सवाल अनवरत
सत्य खुलता परत दर परत
पर हर सवाल का जवाब बस यही
असफलता का सामना कर सका नहीं |
दीवारें बोल सकती तो करा देती बयान
कि उसे दिया गया अपेक्षाओं का अनंत आसमान
उड़ न सका तो बेचारा डर गया
वह होनहार माता-पिता की अपेक्षाओं की बलि चढ़ गया |