भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
खिलखिलाती दहक / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:15, 16 सितम्बर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=बारिश में खंडहर / नंदकि…)
एक आग पेड़ में है
एक बर्फ में
आग में आग घुलती है
गलती है
जल हो जाती है
आग में आग रच-बस जाती है
फूटती है
खिल आती है।
हर फूल कोई दहक है जैसे
महकती, खिलखिलाती दहक !
(1980)