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गाता है प्रभु- 2 / राजेन्द्र जोशी
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कण - कण में तू
फिर क्यों
सबको
अपने पास बुलाता है
तू क्यों नहीं जाता है
उनके पास
जाकर देख तो सही
रेत में कैसे रहते हैं वे
और नही ंतो कभी
गर्मी में
मनाने ही चला आ
छुट्टियां
तू कब से
एक ही जगह
बैठा हैं !
ऊब नहीं होती ?