भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरा काम / निशान्त

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:39, 21 अक्टूबर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}}<poem>निम्न म...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

निम्न मध्यम वर्ग और
निम्न वर्ग के घरों से आए
बिगाड़ की ओर जा रहे
किशोर बेटों को
ठीक राह पर लाने का
काम था मेरा
आग्रह तो इतना जबदस्त था कि
मैं उन्हें बना दूं कुन्दन
कोशिश भी होती थी
प्रोत्साहित और
चमकृत भी होते थे कभी कभी वे
लेकिन आखिर में
बने रहते थे वही के वही
और चाहते थे कि मैं ही
छोड़ दूँ जिद्द अपनी
मैं सफल होता भी कैसे
दुनिया जिसमें वे
घूमते-फिरते थे
सजा हुआ था
भटकाव का
आकर्षक बाजार
और मेरे पास
ताजा था कम
बासी ज्यादा।