भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आखर री औकात, पृष्ठ- 49 / सांवर दइया

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:06, 23 अक्टूबर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सांवर दइया |संग्रह=आखर री औकात / सां...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ऊभा है लोग
मरण री तेवड़
कठै जावैला ?
०००

छूट रो नांव
कीं कैवण उठां तो
थे टूंपो गळा
०००

ऊंचो व्है घर
देस भलांई डूबै
ऐ कीड़ा कुण ?
०००

थांरा पोस्टर
भींतां सोभता काल
आज पगां में
०००

चौफेर हाका
अमूजतै लोगां रा
मूंढा खुलग्या
०००