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हम बचे रहेंगे-2 / विमलेश त्रिपाठी
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सब कुछ के रीत जाने के बाद भी
माँ की आँखों में इन्तजार का दर्शन बचा रहेगा
अटका रहेगा पिता के मन में
अपना एक घर बना लेने का विश्वास
ढह रही पुरखों की हवेली के ध्रन की तरह
तुम्हारे हमारे नाम के
इतिहास में गायब हो जाने के बाद भी
पृथ्वी के गोल होने का मिथक
उसकी सहनशक्ति की तरह ही बचा रहेगा
और हम बचे रहेंगे एक-दूसरे के आसमान में
आसमानी सतरंगों की तरह।