भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ज़िन्दगी पीपल का पत्ता ही सही / मनु भारद्वाज

Kavita Kosh से
Manubhardwaj (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:01, 19 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनु भारद्वाज |संग्रह= }} {{KKCatGhazal‎}} <Poem> ज...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ज़िन्दगी पीपल का पत्ता ही सही
मै अगर टूटा तो टूटा ही सही

आपकी मर्ज़ी है ठुकरा दीजिए
प्यार में हमदम ये सौदा ही सही

मरहले इस ज़िन्दगी के दोस्तों
कम न हों तो फिर इजाफा ही सही

लिख भी दीजे इश्क की तकदीर आप
ये मेरी क़िस्मत है धोका ही सही

आप आयेंगे मेरे ख्वाबों में आज
एक वादा और झूठा ही सही

है बहुत बदनाम अपने शहर में
ऐ 'मनु' इन्सां तू अच्छा ही सही