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इतनी ऊँची उड़ान तक पहुँचे! / जितेन्द्र 'जौहर'
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इतनी ऊँची उड़ान तक पहुँचे!
भूमि से आसमान तक पहुँचे!
थोड़ा सम्मान क्या मिला तुमको,
यार! तुम तो गुमान तक पहुँचे!
हाथ गीता-क़ुरान पर लेकिन,
होंठ झूठे बयान तक पहुँचे!
माल पहुँचा है, मालदारों तक,
सिर्फ़ वादे जहान तक पहुँचे।
गिध्द सब उड़ गये दरख़्तों से,
तीर ज्यों ही कमान तक पहुँचे।
ये सियासत की देन है, टुच्चे-
साइकिल से विमान तक पहुँचे!
जब अँधेरों पे हो फ़िदा सूरज,
रात कैसे विहान तक पहुँचे?
मार हुंकार प्रलय के स्वर में,
पीर सत्ता के कान तक पहुँचे।