भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दु:ख / अर्जुनदेव चारण
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:01, 1 दिसम्बर 2011 का अवतरण
अपने दुःख को
कोई याद नहीं रखता मां
वह भी नहीं
जो
रचता है तुम्हें।
अनुवाद :- कुन्दन माली