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दुपहरी-2 / नंदकिशोर आचार्य
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घने झुरमुट में बिछी
है पत्तों की शैय्या
सो रही है छाया
चुपके-से आ कर
चूमता सूरज—
लजाती हुई छाया
सेज पर कुछ सरक जाती है
—जगह करती हुई ।
—
27 अगस्त 2009