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मृत्यु के सपने में / नंदकिशोर आचार्य
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अचानक चौंक कर
जागूँगा गहरी नींद
और नहीं पाऊँगा
अपने बिस्तर पर ख़ुद को
—नहीं, खो गया नहीं
होऊँगा
सोने को चला गया हूँगा
मृत्यु के सपने में
चुपचाप—
सच करने उस को ।
—
14 जुलाई 2009