जभी पानी बरसता है तभी घर की याद आती है
यह नहीं कि वहाँ हमारी प्रिया, बिरहिन, धर्मपत्नी है—
यह नहीं कि वहाँ खुला कुछ है पड़ा जो भीग जाएगा—
बल्कि यह कि वहाँ सभी कमरों-कुठरियों की दिवालों पर उठी छत है ।
जभी पानी बरसता है तभी घर की याद आती है
यह नहीं कि वहाँ हमारी प्रिया, बिरहिन, धर्मपत्नी है—
यह नहीं कि वहाँ खुला कुछ है पड़ा जो भीग जाएगा—
बल्कि यह कि वहाँ सभी कमरों-कुठरियों की दिवालों पर उठी छत है ।