भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पर्वत के ऊपर है वंशी / ठाकुरप्रसाद सिंह
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:20, 21 सितम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ठाकुरप्रसाद सिंह |संग्रह=वंशी और मादल/ ठाकुरप्रसाद सि...)
पर्वत के ऊपर है वंशी
नीचे मुरली
मेरी दोनों ओर धार है
धार नहीं प्रिय की पुकार है
मैं रेती-सी बंधी बीच में
बंदी होता मेरा प्यार है
मूढ़ बधिक के बंधन में कसती
मैं कुरली
नीचे मुरली