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नव वर्ष / संजय अलंग
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उत्कर्ष असीम आया है
हर्ष नवीन लाया है
वर्ष नवीन आया है
स्पंदनों में आमोद है
धरा में प्रमोद है
जीवन में आनंद है
प्रसन्न हैं खग विहंग
फैली अल्हाद की तरंग
छायी चहुँ ओर उमंग
अतुल है आस
कुँठा का हो सन्यास
विपुल हो विकास
तुण्ड है धवल
मन है चपल
वर्ष है नवल