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हर की पौड़ी से (2) / संजय अलंग
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चप्पल उतारवाते लोग
रसीद लिए दान मांगते
इंकार सुनते, गेरूए होते
धूसर रंग कल-कल बहता
तर्पण, दीये, पिंड, गेंदें के फूल
ट्यूब, आत्मा, नज़र, पाप
धूसर के साथ गड़मड़ हो रहे