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कुछ शेर-4 / अर्श मलसियानी

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(1)
ऐ सितमगर1 मेरे इस हौसले की दाद दें,
सामने तेरे अगर फरियाद2 कर लेता हूँ मैं।
 
(2)
नहीं है राज कोई राज दीदावर3 के लिये,
नकाब पर्दा नहीं शौक की नजर के लिये।

(3)
बला4 है कहर है आफत है फित्ना है कयामत है,
हसीनों की जवानी को, जवानी कौन कहता है?

(4)
मिल गया आखिर निशाने-मंजिले-मकसूद मगर,
अब यह रोना है कि शौके-जुस्तजू5 जाता रहा।
 
(5)
यह किसने कह दिया गुमराह कर देता है मैखाना6,
खुदा की फजलi से इसके लिए मंदिर हैं, मस्जिद हैं।

1 सितमगर - जुल्म ढानेवाला 2.फरियाद - (i) शिकायत, परिवाद (ii) न्याय-याचना (iii) सहायता के लिए पुकार, दुहाई 3.दीदावर - जोहरी, पारखी, किसी चींज के गुण-दोष अच्छी तरह समझने वाले 4.बला - मुसीबत, विपत्ति, आस्मानी मुसीबत 5.जुस्तजू - तलाश 6.मैखाना - शराबखाना 7.फजल - मेहरबानी, कृपा