भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अर्श मलसियानी
Kavita Kosh से
अर्श मलसियानी
जन्म | 1908 |
---|---|
निधन | 1979 |
जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
अर्श मलसियानी / परिचय |
प्रतिनिधि ग़ज़लें
- कुछ शेर-1 / अर्श मलसियानी
- कुछ शेर-2 / अर्श मलसियानी
- कुछ शेर-3 / अर्श मलसियानी
- कुछ शेर-4 / अर्श मलसियानी
- मोहब्बत सोज़ भी है साज़ भी है / अर्श मलसियानी
- क़मज़र्फ़ दुनिया / अर्श मलसियानी
- तेवर तो देख जमाने के / अर्श मलसियानी
- जब आदमी वहशी बन गया / अर्श मलसियानी
- शहीदे-आज़म / अर्श मलसियानी
- ज़ालिम को कभी फूलते-फलते नहीं देखा / अर्श मलसियानी
- इश्क़े-बुताँ का ले के सहारा कभी-कभी / अर्श मलसियानी
- जिस ग़म से दिल को राहत हो, उस ग़म का मदाबा क्या मानी / अर्श मलसियानी
- न आने दिया राह पर रहबरों ने / अर्श मलसियानी
- कुछ फूल चमन में बाक़ी हैं / अर्श मलसियानी
- महफ़िल में हमसे आपने पर्दा किया तो क्या / अर्श मलसियानी
- तूफ़ान से उलझ गए लेकर ख़ुदा का नाम / अर्श मलसियानी
- मुझसे पिछले बरस की बात न कर / अर्श मलसियानी
- ग़रीब रोई तो ग़ुंचों को भी हँसी आई / अर्श मलसियानी
- तेरी दोस्ती पै मेरा यकीं / अर्श मलसियानी
- जो दरे-हुस्न के फ़क़ीर हुए / अर्श मलसियानी
- जवाबे-तल्ख़ में शामिल मलामत और हो जाती / अर्श मलसियानी
- मुझको ले डूबीं मेरी खुद्दारियाँ / अर्श मलसियानी
- तेवर तो देख ज़माने के / अर्श मलसियानी
- मुझको ले डूबी मेरी खुद्दारियां / अर्श मलसियानी
- जिस ग़म से दिल को राहत हो, उस ग़म का मदाबा क्या मानी? / अर्श मलसियानी
- महफ़िल में हमसे आपने पर्दा किया तो क्या? / अर्श मलसियानी