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देखकर यूं, शरीर नज़रों से / महेंद्र अग्रवाल
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देखकर यूं, शरीर नज़रों से
खींच दी इक लकीर नज़रों से
तजरुबा इश्क में, हुआ हमको
हो गए हम फ़क़ीर नज़रों से.
यार, एहसास तक चला आया
सर्द आंखों का नीर नज़रों से.
देखते देखते ही वो ज़ालिम
फेंक देता है तीर नज़रों से.
खुद को रांझा समझ लिया उसने
लग रही है वो हीर नज़रों से.
खु़द को माहिर समझ लिया कैसे?
शेर कहते थे मीर नज़रों से
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