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महेंद्र अग्रवाल
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महेंद्र अग्रवाल
जन्म | 21 अप्रैल 1964 |
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जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
पेरोल पर कभी तो रिहा होगी आग (ग़ज़ल संग्रह), शोख मंज़र ले गया (ग़ज़ल संग्रह)(पुरस्कृत), ये तय नहीं था (ग़ज़ल संग्रह) (पुरस्कृत), बादलों को छूना है चांदनी से मिलना है, कबीले की नई आवाज़ (उर्दू में), ग़ज़ल कहना मुनासिब है यहीं तक, ग़ज़ल और नई ग़ज़ल (आलोचना), नई ग़ज़ल-यात्रा और पड़ाव(आलोचना), ग़ज़ल का प्रारुप और नई ग़ज़ल(आलोचना), नई ग़ज़ल की प्रमुख प्रवृत्तियां(आलोचना),व्यंग्य का ककहरा (व्यंग्य संग्रह), स्वरों की समाजवादी संवेदनायें (व्यंग्य संग्रह), न काहू से दोस्ती न काहू से वैर (व्यंग्य संग्रह); सम्पादित कृतियाँ : अंकुर (1981), नई ग़ज़ल (1988), हवा के विरूद्ध (1989), नई ग़ज़ल दिशा और दशा(1991), ताकि सनद रहे (2002), नमन (2009) | |
विविध | |
आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से प्रसारण; आकाशवाणी द्वारा गायन हेतु ग़ज़लें चयनित; देश-विदेश की उर्दू एवं हिन्दी की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन; अनेक ग़ज़ल संग्रहों एवं ग़ज़ल विशेषांकों में प्रकाशित; अ. भा. कवि सम्मेलनों एवं मुशायरों में सहभागिता; नई ग़ज़ल स्वरूप एवं संवेदना (शोध प्रबंध); ग़ज़ल विषयक विविध शोध ग्रंथों में उल्लेख; अनेक सामाजिक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित; सम्मान/पुरस्कार: ःस्व. सत्यस्वरूप माथुर स्मृति काव्य सम्मान (2000), पन्नालाल श्रीवास्तव नूर सम्मान (2005), अम्बिकाप्रसाद दिव्य अलंकरण(2005), देवकीनंदन माहेश्वरी सम्मान (2009), दुष्यन्तकुमार सम्मान(2009), काव्य शिरोमणि सम्मान(2009), राष्ट्र भाषा रत्न सम्मान,साहित्य श्री सम्मान, ग़ज़ल गौरव सम्मान.(2011), पं.युगल किशोर शुक्ल पत्रकारिता सम्मान(2012), श्रीमती गिनादेवी स्मृति साहित्य सम्मान (2013) | |
जीवन परिचय | |
महेंद्र अग्रवाल / परिचय |
ग़ज़लें
- गम नहीं, गम नहीं, गम नहीं... / महेंद्र अग्रवाल
- कैसा है आज मौसम कुछ भी पता नहीं है / महेंद्र अग्रवाल
- ज़िन्दगी बस एक ये लम्हा मुझे भी भा गया / महेंद्र अग्रवाल
- ज़रीदे में छपी है इक ग़ज़ल दीवान जैसा है / महेंद्र अग्रवाल
- अपनी नज़र से उसने गिराया कहां कहां / महेंद्र अग्रवाल
- देखकर यूं, शरीर नज़रों से / महेंद्र अग्रवाल
- आज कुछ बात है जो ज़िद पे अड़े हैं कुत्ते / महेंद्र अग्रवाल
- समझता खूब है वो भी बयान की कीमत / महेंद्र अग्रवाल
- अदबी अदब के वास्ते ज़िद पर अडे़ हुए / महेंद्र अग्रवाल
- गलत कहेंगे तो मान लेंगे, तुम्हीं कहो कुछ, ये तय नहीं था / महेंद्र अग्रवाल