भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मालूम नहीं (1) / जगदीश रावतानी आनंदम
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:34, 5 अप्रैल 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जगदीश रावतानी आनंदम |संग्रह= }} {{KKCatKavi...' के साथ नया पन्ना बनाया)
आई पी एस अफसर अकेला नहीं कुचला गया
कुचले गए मां बाप के संजोय स्वप्न
पत्नी और बच्चे का भविष्य
तथाकथित प्रजातंत्र
बहादुर की आवाज़
और साथ ही कुचला गया
आम नागरिक का विश्वास
सरकारी तंत्र का चरित्र
और शायद कुचली गयी भगवान् में आस्था
क्या बच पाएगी कुचलने से लेखक की कलम
मालूम नहीं