भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खाना खजाना: बासी भात तैयार करना / नासिर अहमद सिकंदर

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:04, 10 अप्रैल 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नासिर अहमद सिकंदर |संग्रह=भूलवश औ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रात के पके हुए चाँवल
यदि बच जायें
तो फेकें न
पानी डालें
रख दें
सुबह तक
सुबह चाहें तो पानी निकाल लें
चाहें तो
रहने दें
अब नमक मिलायें
मिर्च यदि हो
तो उसे
स्वादानुसार
बस तैयार
बासी भात
अब स्वाद जानना हो इसका
तो शहर में टेलीफोन के जो केबल बिछाये जा रहे हैं
और सुबह-सुबह ठेके में जो मजदूर आते हैं
वहां जायें
चखें
उनके एल्यूमिनियम के डिब्बे में
यही मिलेगा आपको !