Last modified on 11 अप्रैल 2012, at 13:38

माँ की कुछ छोटी कविताएँ (1) / रचना श्रीवास्तव

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:38, 11 अप्रैल 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रचना श्रीवास्तव }} {{KKCatKavita‎}} <poem> कब मुझ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कब मुझको है
जरूरत पैसे की
वो जानती थी
चुप चाप २ रुपये मेरे हाथ मै धर देती थी
आज मुझको समझ आया
१० की सब्जी ८ में
कराने को
वो सब्जी वाले से
क्यों झिकझिक करती थी