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ऐसा क्यों / कमलेश्वर साहू

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कभी कभी जब
कुछ भी नहीं होता करने को
सोचता हूं
कितने सपने लगते होंगे
एक ताजमहल बनाने के लिये
लोग कहते हैं
जिनके पास
जितने सपने हैं
उतने ही सपनों से
बनाया जा सकता है
ताजमहल
लोग तो
यहां तक कहते हैं
सिर्फ एक ही सपना काफी है
ताजमहल बनाने के लिये
मां के पास सपने ढेरों थे
मगर दुर्भाग्य
ताजमहल एक भी नहीं
ऐसा क्यों ! ?