भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हमरा सँगे अजीब करामात हो गइल / मनोज भावुक

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यदि इस वीडियो के साथ कोई समस्या है तो
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें

हमरा सँगे अजीब करामात हो गइल
सूरज खड़ा बा सामने आ रात हो गइल

एह मोड़ पर हमार ई हालात हो गइल
खुद जिन्दगी भी बाटे सवालात हो गइल

परिचय हमार पूछ रहल बा घरे के लोग
अइसन हमार हाय रे, औकात हो गइल

जमकल रहित करेज में कहिया ले ई भला
अच्छे भइल जे दर्द के बरसात हो गइल

'भावुक' हो! हमरा वास्ते बाटे बहुत कठिन
भीतर जहर उतार के सुकरात हो गइल