भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आत्म विश्वास (२) / शिवदीन राम जोशी
Kavita Kosh से
Kailash Pareek (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:46, 22 जून 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवदीन राम जोशी | }} {{KKCatChhand}} <poem> तीर्थ स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
तीर्थ से तिरे हैं केते व्रत से तिरे हैं,
तप से तिरे हैं संत आत्मा महान से |
केते तिरे हैं योग यज्ञ के प्रताप प्रभु,
केते तिरे हैं मानव उर ज्ञान से |
केते तिरे हैं दया दान धर्म कर-कर के,
केते तिरे हैं सत्य राम नाम ध्यान से |
एते करमों में मोसों कोई कर्म बन्यो नाय,
शिवदीन तो तरेगा साधू आपकी जबान से |