भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
विशाल जीवन / अज्ञेय
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:10, 19 जुलाई 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय |संग्रह=इत्यलम् / अज्ञेय }} {{...' के साथ नया पन्ना बनाया)
है यदि तेरा हृदय विशाल, विराट् प्रणय का इच्छुक क्यों?
है यदि प्रणय अतल, तो अपनी अतल-पूर्ति का भिक्षुक क्यों?
दावानल की काल-ज्वाल जलती-बुझती एकाकी ही-
जीवन हो यदि ऊँचा तो ऊँची समाधि हो रक्षक क्यों?
मुलतान जेल, 5 दिसम्बर, 1933