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कैसा है यह जमाना / अज्ञेय
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कैसा है यह ज़माना
कि लोग
इसे भी प्यार की कविता
मानेंगे!
पर कैसा है यह ज़माना
कि हमीं
ऐसी ही कविता में
अपना प्यार
पहचानेंगे।
बर्कले (कैलिफ़ोर्निया), अप्रैल, 1969