भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कहाँ से उठे प्यार की बात / अज्ञेय

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:30, 11 अगस्त 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय |संग्रह=क्योंकि मैं उसे जा...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
कहाँ से उठे प्यार की बात
जब कदम-कदम पर कोई
असमंजस में डाल दे?

जैसे शहर की त्रस्त क्षिति-रेखा पर रात
धुँधलके के सागर से
एक तारा उछाल दे?

आता है यही : उसी तारे-सा कंटकित
तर्कातीत, निःसंशय
अकारण, निराधार पर निर्भय
एक शब्द-रहित चकित आशीर्वाद।

नयी दिल्ली, 16 मई, 1968