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जिय की बात जनाईये क्यौं करि / घनानंद
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जिय की बात जनाइये क्यों करि,
जान कहाय अजाननि आगौ .
तीरन मारि कै पीरन पावत ,
एक सो मानत रोइबो रागौ .
ऐसी बनी ‘घनआनन्द’ आनि जु,
आनन सूझत सो किन त्यागौ.
प्रान मरेंगे भरेंगे बिथा पै,
अमोही से काहू को मोह न लागौ .