भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गुलगुली गिलमैं गलीचा है गुनीजन हैं(ऋतु वर्णन) / पद्माकर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:44, 27 अगस्त 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पद्माकर }}<poem> गुलगुली गिलमैं गलीच...' के साथ नया पन्ना बनाया)
गुलगुली गिलमैं गलीचा है गुनीजन हैं,
चाँदनी हैं चिक हैं चिरागन की माला है .
कह ‘पदमाकर’ त्यों गजक गिजा हैं सजी,
सेज हैं सुराही हैं सुरा हैं और प्याला हैं.
सिसिर के पला को न व्यापत कसाला तिन्हैं,
जिनके अधीन एते उदित मसाला हैं.
तान तुक ताला हैं, बिनोद के रसाला हैं ,
सुबाला हैं दुसाला हैं बिसाला चित्रसाला हैं .