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सो जाऊँगा अब / नंदकिशोर आचार्य
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गहराता जा रहा है अँधेरा ठण्डा।
मेरी आँखों में नींदः
अलाव के ताप में पकती अलसता।
सो जाऊँगा अब
फिर उठूँगा नहीं।
रात फिर हो जायेगी दिन
शोर करता हुआ
अपनी व्यग्रता में भूलता
मुझ को।
(1983)